AQI क्या है? वायु गुणवत्ता सूचकांक के स्तर, स्वास्थ्य प्रभाव और भारत में प्रदूषण से बचाव के उपाय।

🗓️ Updated on: October 24, 2025

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क्या आपने कभी सुबह उठकर खिड़की खोली हो और हवा में एक अजीब-सी धुंध, आंखों में जलन या गले में खराश महसूस की हो? यह सिर्फ मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि हमारी हवा की गिरती गुणवत्ता का संकेत है। हम रोज़ तापमान तो देखते हैं, पर उस हवा की सेहत को अक्सर अनदेखा कर देते हैं जिसमें हम हर पल सांस लेते हैं। हवा की यही सेहत AQI — Air Quality Index यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक कहलाता है। यह मात्र एक संख्या नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य का रिपोर्ट कार्ड है। 

यह लेख में AQI — Air Quality Index की संपूर्ण जानकारी दी गयी है – इसका अर्थ, माप, स्वास्थ्य प्रभाव और सुरक्षा उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index-AQI) क्या है?

AQI यानी Air Quality Index एक मानक सूचकांक है, जो यह बताता है कि किसी क्षेत्र की हवा कितनी प्रदूषित है और यह मानव स्वास्थ्य के लिए कितनी सुरक्षित है। यह 0 से 500 तक की रेंज में होता है – जितनी अधिक संख्या, उतना अधिक प्रदूषण और उतना बड़ा स्वास्थ्य जोखिम। यह सरकारी एजेंसियां जैसे CPCB भारत में इस्तेमाल करती हैं, ताकि आम लोग आसानी से समझ सकें कि हवा कितनी साफ या गंदी है।

यह सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए एक अर्ली वार्निंग सिस्टम है। अगर आपको समझ आ जाए कि AQI (Air Quality Index) क्या है और इसे कैसे पढ़ना है, तो आप प्रदूषण के खतरनाक प्रभावों से अपने और अपने परिवार को बचा सकते है।

भारत में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 2015 में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक लॉन्च किया था। इसमें आठ प्रदूषकों को मापा जाता है: PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3 और Pb।

आसान भाषा में, AQI — Air Quality Index एक पैमाना (scale) है जो यह बताता है कि आपके आसपास की हवा कितनी साफ या प्रदूषित है। यह एक सिंगल नंबर, एक रंग और एक श्रेणी (जैसे ‘अच्छा’, ‘खराब’, ‘गंभीर’) का उपयोग करता है, ताकि आम जनता आसानी से समझ सके कि हवा में सांस लेना कितना जोखिम भरा हो सकता है।

भारत में, AQI को ‘एक नंबर – एक रंग – एक विवरण’ (One Number – One Colour – One Description) के सिद्धांत पर लॉन्च किया गया था ताकि लोग इसे तुरंत समझ सकें।

AQI चार्ट को कैसे पढ़ें और समझें? (AQI Levels)

AQI — Air Quality Index को छह श्रेणियों में बांटा गया है, जिनके अलग-अलग रंग और स्वास्थ्य संबंधी सलाह हैं। यही इसकी सबसे बड़ी उपयोगिता है।

AQI रेंज (श्रेणी)स्वास्थ्य जोखिमरंग 
0 – 50 (अच्छा)नगण्य या बहुत कम जोखिमहरा 
51 – 100 (संतोषजनक)संवेदनशील लोगों के लिए हल्का जोखिमपीला 
101 – 200 (मध्यम)स्वस्थ लोगों में सांस लेने में तकलीफ, संवेदनशील लोगों में स्वास्थ्य समस्याएंनारंगी 
201 – 300 (खराब)लंबे समय तक एक्सपोजर से सभी में स्वास्थ्य समस्याएं, संवेदनशील समूहों के लिए गंभीर जोखिमलाल 
301 – 400 (बहुत खराब)सांस की गंभीर बीमारी, दिल के रोगियों के लिए खतराबैंगनी 
401 – 500+ (गंभीर)स्वस्थ लोगों में भी सांस की बीमारी, स्वास्थ्य आपात स्थितिगहरा लाल

AQI कैसे मापा जाता है? (The Science Behind the Number)

जब आप AQI — Air Quality Index चेक करते हैं, तो वह नंबर हवा में मौजूद कई प्रदूषकों (pollutants) को मापकर निकाला जाता है। भारत का राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (National Air Quality Index – NAQI) मुख्य रूप से आठ प्रमुख प्रदूषकों की निगरानी करता है:

  1. PM2.5 (पार्टिकुलेट मैटर 2.5): ये हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर से भी छोटे कण होते हैं। ये इतने महीन होते हैं कि सांस के जरिए सीधे आपके फेफड़ों और फिर खून में मिल सकते हैं। ये सबसे खतरनाक प्रदूषकों में से एक हैं।

  2. PM10 (पार्टिकुलेट मैटर 10): ये 10 माइक्रोमीटर से छोटे कण होते हैं (जैसे धूल, पराग)।

  3. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2): मुख्य रूप से वाहनों और बिजली संयंत्रों से निकलता है।

  4. सल्फर डाइऑक्साइड (SO2): औद्योगिक प्रक्रियाओं और जीवाश्म ईंधन के जलने से।

  5. कार्बन मोनोऑक्साइड (CO): वाहनों से निकलने वाले धुएं में पाया जाता है।

  6. ओजोन (O3): जमीनी स्तर का ओजोन (Ground-level Ozone) एक प्रदूषक है।

  7. अमोनिया (NH3): कृषि और औद्योगिक गतिविधियों से।

  8. सीसा (Pb): लेड-एसिड बैटरी और कुछ उद्योगों से।

इनमें से जिस प्रदूषक का स्तर उस समय सबसे खराब होता है, वही उस दिन का AQI (Air Quality Index) निर्धारित करने में मुख्य भूमिका निभाता है। (अक्सर आप देखेंगे कि PM2.5 या PM10 ही मुख्य कारण होते हैं)।

AQI और हमारा स्वास्थ्य: सीधा संबंध

यह जानना ज़रूरी है कि खराब AQI — Air Quality Index हमें कैसे प्रभावित करता है:

  • अल्पकालिक (Short-term) प्रभाव: आंखों, नाक और गले में जलन, खांसी, सांस फूलना, और अस्थमा के अटैक का बढ़ना।

  • दीर्घकालिक (Long-term) प्रभाव: लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (COPD), हृदय रोग, स्ट्रोक और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

  • सबसे अधिक जोखिम किसे है?: बच्चे (जिनके फेफड़े अभी विकसित हो रहे हैं), बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, और वे लोग जिन्हें पहले से ही फेफड़ों या हृदय की समस्या है।

खराब AQI का हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

यह सिर्फ सांस की तकलीफ तक सीमित नहीं है। वायु प्रदूषण एक मूक हत्यारा है और इसके दीर्घकालिक प्रभाव भयावह हैं।

  • श्वसन तंत्र पर प्रभाव: अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों का कैंसर और COPD जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

  • हृदय तंत्र पर प्रभाव: हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। PM 2.5 कण सीधे खून में मिलकर धमनियों को ब्लॉक कर सकते हैं।

  • मस्तिष्क पर प्रभाव: शोध बताते हैं कि प्रदूषण का संबंध अल्जाइमर, डिमेंशिया और न्यूरोलॉजिकल क्षति से है।

  • बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव: बच्चों के फेफड़ों के विकास में बाधा, प्री-मैच्योर बर्थ और जन्म के समय कम वजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

अपना AQI कैसे चेक करें? (How to Check Your AQI)

ज्ञान ही बचाव है। आप इन विश्वसनीय स्रोतों से अपने इलाके का रियल-टाइम AQI — Air Quality Index चेक कर सकते हैं:

  1. SAMEER App (समीर ऐप): यह CPCB का आधिकारिक ऐप है, जो भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों का AQI डेटा दिखाता है।

  2. SAFAR (सफर) वेबसाइट: (System of Air Quality and Weather Forecasting And Research) यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की पहल है, जो विशेष रूप से दिल्ली, मुंबई, पुणे और अहमदाबाद के लिए बहुत सटीक पूर्वानुमान देती है।

  3. CPCB वेबसाइट: आप सीधे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर भी डेटा देख सकते हैं।

  4. अन्य विश्वसनीय ऐप्स: कई अंतरराष्ट्रीय ऐप्स (जैसे IQAir, AirVisual) भी भारतीय मॉनिटरिंग स्टेशनों से डेटा लेकर AQI दिखाते हैं।

जब AQI 'खराब' या 'गंभीर' हो तो क्या करें? (Precautions)

अगर आप देखते हैं कि आपके इलाके का AQI — Air Quality Index ‘खराब’, ‘बहुत खराब’ या ‘गंभीर’ श्रेणी में है, तो तुरंत ये कदम उठाएं:

  1. घर के अंदर रहें: जितना हो सके, बाहर निकलने से बचें। खासकर सुबह और शाम के समय, जब प्रदूषण का स्तर अक्सर सबसे ज़्यादा होता है।

  2. खिड़की-दरवाजे बंद रखें: अपने घर में बाहर की प्रदूषित हवा को आने से रोकें।

  3. मास्क का प्रयोग करें: अगर बाहर जाना बहुत ज़रूरी है, तो साधारण कपड़े का मास्क नहीं, बल्कि एक अच्छी क्वालिटी का N95 या FFP2 मास्क पहनें। यह PM2.5 कणों को फिल्टर करने में सक्षम होता है।

  4. व्यायाम (Exercise) से बचें: खराब हवा में बाहर दौड़ना, साइकिल चलाना या कोई भी ज़ोरदार व्यायाम न करें। इससे आप ज़्यादा तेज़ी से प्रदूषित हवा अपने फेफड़ों में भरते हैं।

  5. एयर प्यूरीफायर (Air Purifier): यदि संभव हो, तो घर के अंदर (खासकर बेडरूम में) HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।

  6. बच्चों और बुजुर्गों का खास ख्याल रखें: सुनिश्चित करें कि वे इन सभी सावधानियों का सख्ती से पालन करें।

AQI को नियंत्रित करने के उपाय

  • वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करें – सार्वजनिक परिवहन का उपयोग और कार पूलिंग।

  • वृक्षारोपण और हरियाली बढ़ाएं – पेड़ हवा को स्वच्छ करने में मदद करते हैं।

  • इंडस्ट्री और धूल नियंत्रण – उद्योगों में फ़िल्टर और धूल नियंत्रण सिस्टम लगाना।

  • घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग – विशेषकर उच्च AQI वाले दिन।

  • स्वास्थ्य सुरक्षा – मास्क पहनना और outdoor activities सीमित करना।

AQI और मौसम का संबंध

AQI (Air Quality Index) और मौसम का बहुत गहरा रिश्ता है। मौसम यह तय करने में बड़ी भूमिका निभाता है कि हवा कितनी साफ या प्रदूषित होगी।

1. तापमान (Temperature)
  • सर्दी (Temperature Inversion): सर्दियों में ज़मीन के पास की हवा ठंडी और भारी हो जाती है, और उसके ऊपर गर्म हवा की एक परत बन जाती है। यह गर्म हवा एक ‘ढक्कन’ की तरह काम करती है, जो सारे प्रदूषण (PM2.5, धुआँ) को ज़मीन के पास ही फँसा लेती है। इसे ‘टेंपरेचर इनवर्जन’ (Temperature Inversion) कहते हैं। यही कारण है कि सर्दियों में AQI (Air Quality Index) ‘गंभीर’ (Severe) हो जाता है।

  • गर्मी: गर्मियों में ज़मीन गर्म होती है, हवा हल्की होकर ऊपर उठती है और प्रदूषकों को अपने साथ फैला देती है, जिससे AQI बेहतर रहता है।

2. हवा की गति (Wind Speed)
  • तेज हवा: तेज हवा प्रदूषकों को एक जगह जमा नहीं होने देती। यह उन्हें उड़ाकर फैला देती है, जिससे AQI (Air Quality Index)में तेजी से सुधार होता है।

  • शांत हवा: जब हवा रुकी या शांत होती है, तो प्रदूषण (जैसे गाड़ियों का धुआँ) एक ही जगह जमा होता रहता है, जिससे AQI बहुत खराब हो जाता है।

3. बारिश (Rain)

बारिश हवा के लिए ‘प्राकृतिक वॉश’ (Natural Wash) का काम करती है। पानी की बूँदें हवा में मौजूद धूलकण (PM10) और PM2.5 को अपने साथ चिपकाकर ज़मीन पर ले आती हैं। इसीलिए बारिश के बाद आसमान एकदम साफ और AQI ‘अच्छा’ (Good) हो जाता है।

4. धूप (Sunlight)

तेज धूप (खासकर गर्मियों में) कभी-कभी AQI को खराब कर सकती है। जब सूरज की तेज किरणें वाहनों से निकले धुएँ (NOx) और अन्य रसायनों से मिलती हैं, तो ‘ज़मीनी स्तर का ओजोन’ (Ground-level Ozone) बनता है, जो खुद एक बड़ा प्रदूषक है।

संक्षेप में, ठंडी, शांत और सूखी हवा AQI (Air Quality Index) के लिए सबसे खराब होती है, जबकि तेज हवा और बारिश AQI के लिए सबसे अच्छी होती है।

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निष्कर्ष (Conclusion)

AQI (Air Quality Index) सिर्फ एक नंबर नहीं है, यह एक चेतावनी प्रणाली है। इसे नज़रअंदाज़ करना अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ करने जैसा है। भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर चुनौती है, लेकिन सही जानकारी और समय पर सावधानी बरतकर हम इसके बुरे प्रभावों को काफी हद तक कम कर सकते हैं। समय पर जागरूक होना और प्रदूषण नियंत्रण के उपाय अपनाना जरूरी है।

याद रखें, साफ हवा कोई विलासिता नहीं, बल्कि हमारा मौलिक अधिकार है। इस अधिकार के लिए जागरूक बनें और दूसरों को भी प्रेरित करें।

अस्वीकरण: AQI — Air Quality Index पर यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए चिकित्सक से परामर्श लें।

❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1: AQI क्या होता है?

उत्तर: AQI यानी Air Quality Index, वायु में प्रदूषण का माप है जो स्वास्थ्य पर उसके प्रभाव को दर्शाता है।

Q2: AQI कैसे मापा जाता है?

उत्तर: AQI की गणना PM2.5, PM10, NO₂, SO₂, CO और O₃ के स्तर से की जाती है।

Q3: उच्च AQI से बचने के उपाय क्या हैं?

उत्तर: मास्क पहनना, outdoor activities सीमित करना, हवा साफ रखने वाले उपकरणों का उपयोग करना और वाहनों का कम उपयोग करना सर्वोत्तम उपाय हैं।

Q4: भारत में AQI कौन मॉनिटर करता है?

उत्तर: भारत में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) AQI की निगरानी करता है।

Q5: PM2.5 और PM10 में क्या अंतर है?

उत्तर: PM10 (10 माइक्रोमीटर) में धूल, परागकण जैसे कण होते हैं। जबकि PM2.5 (2.5 माइक्रोमीटर) बहुत महीन कण होते हैं जो धुएं और औद्योगिक उत्सर्जन से आते हैं। ये फेफड़ों में गहराई तक जाकर खून में मिल सकते हैं, इसलिए ये अधिक खतरनाक हैं।

Q6: क्या 'मध्यम' (Moderate) AQI में टहलना सुरक्षित है?

उत्तर: ‘मध्यम’ (101–200) AQI का मतलब है कि हवा में कुछ प्रदूषण है। स्वस्थ लोगों को आमतौर पर दिक्कत नहीं होती, लेकिन अस्थमा रोगी, बच्चे और बुजुर्गों को बाहर ज़्यादा मेहनत करने से बचना चाहिए।

Q7: क्या AQI दिन भर बदलता रहता है?

उत्तर: हाँ, AQI मौसम, हवा की गति और ट्रैफिक के आधार पर दिन भर बदल सकता है। आमतौर पर यह सुबह और देर शाम को खराब होता है जब तापमान कम और हवा स्थिर होती है।

प्रमुख शब्दावली (Key Terminology)

  • CPCB (Central Pollution Control Board): केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्डभारत सरकार का एक वैधानिक निकाय जो देशभर में वायु गुणवत्ता की निगरानी करता है और प्रदूषण नियंत्रण के मानक तय करता है।
  • O₃ (Ozone): ओजोनयह ऊपरी वायुमंडल में सुरक्षा कवच की तरह काम करती है, परंतु निचले वायुमंडल (Ground-level ozone) में यह हानिकारक प्रदूषक बन जाती है।
  • μm (Micrometer): माइक्रोमीटरलंबाई की एक छोटी इकाई (1 माइक्रोमीटर = 1/1000000 मीटर), जिसका उपयोग सूक्ष्म कणों के आकार मापने में किया जाता है।
  • Particulate Pollution (कणीय प्रदूषण): हवा में तैरते ठोस और द्रव सूक्ष्म कणों का मिश्रण – यह प्रदूषण का सबसे आम प्रकार है जो श्वसन रोगों, हृदय संबंधी समस्याओं और मृत्यु दर में वृद्धि से जुड़ा है।
  • Air Purifier (वायु शुद्धिकरण यंत्र): हवा को साफ करने वाला उपकरणयह उपकरण हवा से धूल, परागकण और अन्य प्रदूषकों को फ़िल्टर करके घर या कार्यालय की वायु गुणवत्ता में सुधार करता है।

About the Author

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मैं, अनिल यादव (B.Sc., B.Ed., PGDCA), वर्ष 2006 से सरकारी योजनाओं पर कार्य कर रहा हूँ तथा Content Writing and Blog Post लिखता हूँ । अपने इस व्यापक अनुभव और Digital India Mission से प्रेरित होकर, हमने इस वेबसाइट की शुरुआत की है। हमारा उद्देश्य करोड़ों भारतीयों को सरकारी योजनाओं और तकनीकी जानकारी तक सरल, सटीक और विश्वसनीय पहुँच प्रदान करना है। हम और हमारी टीम पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ सही और प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कार्यरत है, ताकि हर व्यक्ति सरकार की योजनाओं का अधिकतम लाभ उठा सके और डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ सके।
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