🗓️ Updated on: October 12, 2025
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में दालें (दलहन) हमारी थाली का अभिन्न अंग हैं। लेकिन लंबे समय से दालों के आयात पर निर्भरता एक बड़ी चुनौती रही है। इसी समस्या का समाधान लेकर 11 अक्टूबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलहन आत्मनिर्भरता मिशन (Dalhan Atmanirbharta Mission) को लॉन्च किया। यह योजना न केवल दाल उत्पादन को बढ़ावा देगी, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेगी।
इस ब्लॉग में हम दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की पूरी जानकारी, इसके उद्देश्य, लाभ, आवेदन प्रक्रिया और लेटेस्ट अपडेट्स को विस्तार के साथ साझा की गयी है।
Table of Contents
Toggleदलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या है? (What is Dalhan Atmanirbharta Mission?)
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जो दालों (जैसे चना, मसूर, उड़द, अरहर आदि) के उत्पादन, उत्पादकता और प्रोसेसिंग को मजबूत करने पर केंद्रित है। यह मिशन 2025-26 से 2030-31 तक चलेगा और इसका कुल बजट 11,440 करोड़ रुपये है। योजना का मुख्य फोकस दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है, ताकि भारत आयात पर निर्भर न रहे और निर्यात बढ़ा सके।
पीएम मोदी ने लॉन्च के दौरान कहा, “यह मिशन सिर्फ दाल उत्पादन बढ़ाने का नहीं, बल्कि हमारी भावी पीढ़ी और किसानों को सशक्त बनाने का अभियान है। यह योजना प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के साथ लॉन्च हुई, जिसका कुल आउटले 35,440 करोड़ रुपये है। कुल मिलाकर, 42,000 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं से कृषि क्षेत्र में क्रांति आएगी।
मिशन की घोषणा और लॉन्च
- घोषणा तिथि: फरवरी 2025 (केंद्रीय बजट 2025-26)
- लॉन्च तिथि: 11 अक्टूबर 2025
- लॉन्च स्थान: पूसा परिसर, नई दिल्ली
- अवधि: 6 वर्ष (2025-2031)
- बजट आवंटन: ₹11,440 करोड़
योजना की मुख्य विशेषताएं
नीचे टेबल में दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की प्रमुख विशेषताओं को संक्षेप में समझें:
विशेषता | विवरण |
---|---|
समयावधि | 2025-26 से 2030-31 तक |
बजट | 11,440 करोड़ रुपये |
लक्षित फसलें | चना, मसूर, उड़द, अरहर, राजमा आदि दलहन |
मुख्य घटक | बीज वितरण, सिंचाई, प्रोसेसिंग यूनिट, प्रशिक्षण और बाजार लिंकेज |
लक्ष्य रकबा | 35 लाख हेक्टेयर में वृद्धि |
मिशन के मुख्य उद्देश्य (Key Objectives of the Mission)
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- दालों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना: भारत को दालों के आयात पर निर्भरता कम करना
- उत्पादन वृद्धि: देश में दालों का उत्पादन बढ़ाना
- उत्पादकता में सुधार: प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि करना
- बुवाई क्षेत्रफल का विस्तार: अधिक से अधिक क्षेत्र में दलहन की खेती को बढ़ावा देना
- किसानों की आय में वृद्धि: लाभकारी मूल्य सुनिश्चित कर किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना
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दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के लक्ष्य (Targets)
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के मुख्य लक्ष्य 2030-31 तक दाल उत्पादन को दोगुना करना है। जो इस प्रकार हैं:
कुल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि
सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030-31 तक देश का कुल दलहन उत्पादन बढ़ाकर लगभग 350 लाख टन तक पहुँचाया जाए, जिससे भारत पूरी तरह दालों में आत्मनिर्भर बन सके।खेती के क्षेत्र का विस्तार
इस अवधि में दलहन की खेती का कुल क्षेत्रफल बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर तक ले जाने की योजना है, ताकि अधिक किसानों को इस फसल से जोड़ा जा सके और कृषि विविधता को बढ़ावा मिले।गुणवत्तापूर्ण बीजों की सुलभता
किसानों तक उच्च गुणवत्ता वाले बीज पहुँचाने के लिए सरकार 88 लाख निःशुल्क बीज किट और 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज वितरित करेगी, जिससे बीज की गुणवत्ता और उपज दोनों में सुधार हो।न्यूनतम समर्थन मूल्य पर संपूर्ण खरीद
तुअर, उड़द और मसूर जैसी प्रमुख दलहन फसलों की उपज को लगातार चार वर्षों तक 100% एमएसपी (MSP) पर खरीदने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि किसानों को सुनिश्चित आय और मूल्य सुरक्षा मिल सके।पैदावार में निरंतर सुधार
उन्नत कृषि तकनीकों, अनुसंधान और उच्च उत्पादक किस्मों के माध्यम से प्रति हेक्टेयर औसत पैदावार को 1,130 किलोग्राम तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे उत्पादन क्षमता में स्थायी सुधार हो सके।
भारत में दलहन उत्पादन की वर्तमान स्थिति
- खेती का क्षेत्रफल: 34 मिलियन हेक्टेयर से अधिक
- वैश्विक हिस्सेदारी: क्षेत्रफल में 36%, उत्पादन में 27%
- विश्व में स्थान: सबसे बड़ा उत्पादक देश
- उपभोग: वैश्विक खपत का 27%
- आयात: विश्व में 14% आयात
शीर्ष दलहन उत्पादक राज्य
- मध्य प्रदेश – 22%
- महाराष्ट्र – 16%
- राजस्थान – 16%
- उत्तर प्रदेश – 10%
- कर्नाटक – 8%
प्रमुख दालें और उनका योगदान
- चना: 47% (सर्वाधिक)
- तूर (अरहर): 15%
- मूंग: 12%
- उड़द: 10%
- मसूर: 5%
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के लाभ
किसानों के लिए लाभ
- गारंटीड खरीद: सरकारी एजेंसियों द्वारा उपज की सुनिश्चित खरीद
- MSP पर बिक्री: न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दालें बेचने का अवसर
- उन्नत बीज: उच्च गुणवत्ता वाले जलवायु-अनुकूल बीजों की उपलब्धता
- तकनीकी सहायता: आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण
- आय में वृद्धि: बेहतर उत्पादकता से अधिक आमदनी
राष्ट्रीय स्तर पर लाभ
- आयात में कमी: विदेशी मुद्रा की बचत
- खाद्य सुरक्षा: दालों की स्थानीय उपलब्धता
- पोषण सुरक्षा: प्रोटीन युक्त भोजन की सुलभता
- ग्रामीण विकास: कृषि क्षेत्र में रोजगार सृजन
- आत्मनिर्भर भारत: दालों में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
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निष्कर्ष (Conclusion)
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन 2025 केवल एक योजना नहीं, बल्कि भारतीय कृषि के भविष्य का एक नया अध्याय है। यह पहल अगर सही ढंग से लागू होती है, तो यह देश को “दाल संकट” से मुक्ति दिलाकर एक समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह मिशन हर दाल किसान, कृषि विशेषज्ञ और आम नागरिक के सहयोग से ही सफल हो सकता है। यह हमारी थाली की शान और हमारे किसानों के सम्मान की लड़ाई है।
अस्वीकरण: यह जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से संकलित की गई है। नवीनतम अपडेट के लिए आधिकारिक सरकारी वेबसाइट देखें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. दलहन आत्मनिर्भरता मिशन कब शुरू हुआ?
2. Dalhan Atmanirbharta Mission के लिए कितना बजट आवंटित किया गया है?
3. कौन-कौन सी दालें इस मिशन में शामिल हैं?
4. Dalhan Atmanirbharta Mission में किसान कैसे पंजीकरण करा सकते हैं?
5. क्या सभी राज्यों के किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं?
6. दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की अवधि कितनी है?
7. NAFED और NCCF की क्या भूमिका है?
प्रमुख शब्दावली (Key Terminology)
दलहन (Pulses / Legumes): तूर (अरहर), उड़द, मसूर, चना, मूंग आदि फसलें जिनसे प्रोटीन प्राप्त होता है।
- आत्मनिर्भरता (Self-Reliance)देश की आवश्यकताओं की पूर्ति स्वयं करने की क्षमता — आयात पर निर्भर न रहना।
- MSP (Minimum Support Price)न्यूनतम मूल्य जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदने की गारंटी देती है।
- NAFED (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India): भारत सरकार की एजेंसी जो कृषि उत्पादों की मार्केटिंग और खरीद करती है।
- NCCF (National Cooperative Consumers’ Federation of India): उपभोक्ता सहकारी संघ जो किसानों से उत्पाद खरीदकर वितरण में सहयोग करता है।
- क्लस्टर आधारित खेती (Cluster-Based Farming): पास-पास के किसानों को समूह बनाकर एक साथ एक ही फसल की वैज्ञानिक खेती कराना।