H-1B Visa पर 88 लाख शुल्क: ट्रंप सरकार का बड़ा फैसला, अमेरिका जाने वालों के लिए झटका।

🗓️ Updated on: September 22, 2025

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अमेरिका की ट्रंप सरकार ने H-1B वीज़ा से जुड़ी एक नई और विवादास्पद नीति घोषित की है, जिसमें नए H-1B Visa आवेदकों को $100,000 (लगभग ₹88 लाख) का शुल्क देना अनिवार्य किया गया है। यह कदम अमेरिका में स्थानीय कामगारों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है, लेकिन इससे भारत जैसे देशों के लाखों पेशेवर प्रभावित हो सकते हैं

ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीज़ा के नए आवेदनों पर $100,000 का शुल्क लागू किया है। इस लेख में जानिए फैसले की पृष्ठभूमि, नियम, प्रभाव और अमेरिकी इमिग्रेशन पॉलिसी पर असर। बेसिक से एडवांस लेवल तक पूरी गाइड।

H-1B वीज़ा क्या है?

H-1B वीज़ा एक गैर-प्रवासी कार्य वीज़ा (Non-Immigrant Work Visa) है, जो अमेरिका की कंपनियों को विदेशी कुशल पेशेवरों को नौकरी पर रखने की अनुमति देता है। यह मुख्यतः IT, इंजीनियरिंग, रिसर्च, हेल्थकेयर और STEM क्षेत्रों के लिए उपयोग होता है। यह मुख्य रूप से आईटी, साइंस, इंजीनियरिंग और मेडिसिन जैसे क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल होता है। हर साल 85,000 कैप होती है।

✔ प्रमुख तथ्य:

  • अवधि: 3 साल (अधिकतम 6 साल तक बढ़ाई जा सकती है)

  • उद्देश्य: अमेरिका में उच्च दक्षता वाले कार्यों के लिए विदेशी विशेषज्ञों को अवसर देना

  • भारत की स्थिति: हर साल ≈70% H-1B वीज़ा धारक भारतीय होते हैं

मुख्य बातें (Key Features)

विषय विवरण
आदेश जारी19 सितंबर 2025
लागू तिथि21 सितंबर 2025
शुल्क राशि$100,000 (लगभग 88 लाख) एकमुश्त)
लागू होगाकेवल नए H-1B वीज़ा आवेदकों पर
रिन्यूअल पर लागूनहीं (यदि पहले से वीज़ा वैध है)
समाप्ति अवधिएक वर्ष (बाद में बढ़ाया जा सकता है)

88 lakh fee on H-1B visa क्या है?

ट्रंप प्रशासन ने सितंबर 2025 में एक एक्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया, जिसमें H-1B वीज़ा पेटिशन्स के लिए $100,000 का अतिरिक्त शुल्क जोड़ा गया है। यह शुल्क नए आवेदनों पर लागू होता है और इसका उद्देश्य अमेरिकी वर्कर्स को प्रोटेक्ट करना है। सरल शब्दों में, अगर कोई अमेरिकी कंपनी किसी विदेशी वर्कर को H-1B वीज़ा पर हायर करना चाहती है, तो उसे अब इस शुल्क का भुगतान करना होगा। हालांकि, यह मौजूदा H-1B होल्डर्स पर लागू नहीं होता, जो वैलिड वीज़ा के साथ री-एंट्री कर रहे हैं।

इस नीति के पीछे उद्देश्य क्या है?

  • अमेरिकी कामगारों की सुरक्षा।

  • H-1B वीज़ा के दुरुपयोग को रोकना।

  • राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करना।

  • कंपनियों को सस्ते विदेशी श्रमिकों पर निर्भर न रहने देना।

यह शुल्क हर साल लगेगा या एक बार?

शुरुआती रिपोर्ट्स में इसे “सालाना शुल्क” कहा गया था, लेकिन व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक बार का शुल्क है — हर साल नहीं।

21 सितंबर 2025 से पहले H-1B वीज़ा के लिए  आवेदन शुल्क लगभग $1,500 से लेकर $5,500तक होती थी, जो नियोक्ता द्वारा चुने गए विकल्पों पर निर्भर करती थी।

H-1B वीज़ा Cap: Recent Statistics

H-1B वीज़ा के लिए हर साल अमेरिकी सरकार निश्चित संख्या तय करती है, जिसे Cap कहा जाता है।

  • Total H-1B Cap: 85,000

  • भारत से आवेदक: ~65,000

  • अमेरिका में IT क्षेत्र में भारतीय कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व: ~70%- 75% तक।

भारत और भारतीय पेशेवरों पर क्या असर पड़ेगा?

88 lakh fee on H-1B visa का भारत और भारतीय पेशेवरों पर गहरा असर पड़ेगा।

1- भारतीय पेशेवरों पर असर

  • कम अवसर: यह भारी शुल्क अमेरिकी कंपनियों, खासकर छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों, के लिए भारतीय पेशेवरों को काम पर रखना बहुत महंगा बना देगा। इससे H-1B वीज़ा के लिए प्रायोजित किए जाने वाले पदों की संख्या में भारी गिरावट आ सकती है।

  • उच्च प्रतिस्पर्धा: जो कंपनियां इस शुल्क को वहन करने का फैसला करेंगी, वे केवल शीर्ष-स्तरीय, उच्च-कुशल और उच्च-वेतन वाले पेशेवरों को ही लक्षित करेंगी। इससे H-1B वीज़ा प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा और भी कठिन हो जाएगी।

  • करियर योजना में बदलाव: अमेरिका में करियर बनाने का सपना देखने वाले भारतीय युवाओं और पेशेवरों को अपनी योजना बदलनी पड़ सकती है। उन्हें कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, या यूरोप जैसे अन्य देशों में अवसरों की तलाश करनी पड़ सकती है, जहाँ वीज़ा नीतियाँ कम सख्त हैं।

2- भारत की अर्थव्यवस्था पर असर

  • आईटी उद्योग पर दबाव: भारतीय आईटी सेवा कंपनियां, जो अपने राजस्व के एक बड़े हिस्से के लिए अमेरिकी क्लाइंट्स पर निर्भर हैं, इस नीति से बुरी तरह प्रभावित होंगी। उनका व्यापार मॉडल प्रभावित होगा क्योंकि वे अब आसानी से कर्मचारियों को अमेरिका नहीं भेज पाएंगी। उन्हें अपने काम को भारत से करने या अमेरिका में स्थानीय कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिससे उनकी लागत बढ़ जाएगी।

  • रैमिटेंस में कमी: हर साल, अमेरिका में काम कर रहे भारतीय पेशेवर अपने परिवारों को बड़ी मात्रा में पैसा (रैमिटेंस) भेजते हैं। यदि H-1B वीज़ा पर नए कर्मचारियों की संख्या कम होती है, तो रैमिटेंस में भी गिरावट आ सकती है, जिससे भारत की विदेशी मुद्रा आय प्रभावित होगी।

  • घरेलू कौशल विकास पर जोर: इस चुनौती के कारण, भारत में उच्च-तकनीकी कौशल विकास पर अधिक जोर दिया जा सकता है, ताकि कंपनियां भारत से ही वैश्विक परियोजनाओं को संभाल सकें।

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निष्कर्ष (Conclusion)

H-1B वीज़ा पर $100,000 का शुल्क लगाना अमेरिका की इमिग्रेशन पॉलिसी में एक बड़ा बदलाव है। जहां एक ओर यह स्थानीय अमेरिकी कामगारों के लिए लाभदायक माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह भारत और अन्य देशों के पेशेवरों के लिए एक भारी अवरोध बनकर उभरा है। आने वाले समय में इस नीति का भविष्य कोर्ट, कांग्रेस और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर निर्भर करेगा।

❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न – (FAQs)

1. H-1B वीज़ा पर $100,000 शुल्क कब लागू हुआ?

यह शुल्क अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के अनुसार 21 सितंबर 2025 से नए H-1B वीज़ा आवेदनों पर लागू हुआ। मौजूदा वीज़ा धारकों या पहले दायर आवेदन पर यह लागू नहीं है।

2. H-1B वीज़ा के लिए 21 सितंबर 2025 से पहले शुल्क कितना था?

पहले H-1B वीज़ा शुल्क लगभग $1,500 था, जिसमें Form I-129 Fee, ACWIA Fee और Fraud Prevention Fee शामिल थे। Premium Processing विकल्प के साथ कुल लागत $5,500 तक जा सकती थी।

3. H-1B वीज़ा के लिए वार्षिक Cap क्या है?

H-1B वीज़ा की कुल वार्षिक सीमा 85,000 है: 65,000 सामान्य पेशेवरों के लिए और 20,000 Master’s/Higher Degree धारकों के लिए। विश्वविद्यालय और रिसर्च संस्थान Cap-Exempt होते हैं।

4. H-1B वीज़ा धारकों में भारतीयों का प्रतिशत कितना है?

भारतीय पेशेवर H-1B वीज़ा धारकों का लगभग 70%–75% हिस्सा बनाते हैं, मुख्यतः IT और टेक सेक्टर में। बड़े IT कंपनियां जैसे TCS, Infosys, Wipro और HCL प्रमुख नियोक्ता हैं।

5. यह $100,000 शुल्क भारत और भारतीय पेशेवरों को कैसे प्रभावित करेगा?

यह शुल्क नए H-1B आवेदनों की लागत बढ़ा देगा, अमेरिका में नौकरी पाने की प्रक्रिया कठिन होगी, और IT कंपनियों के लिए परियोजना लागत और हायरिंग योजनाओं पर असर पड़ेगा। इसके परिणामस्वरूप पेशेवर कनाडा, ऑस्ट्रेलिया या यूरोप जैसे देशों की ओर रुख कर सकते हैं।

प्रमुख शब्दावली (Key Terminology)

  • H-1B Visa : अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त या तकनीकी पेशेवरों को काम करने की अनुमति देने वाला Non-immigrant Work Visa।
  • Non-immigrant Work Visa : ऐसा वीज़ा जो अमेरिका में अस्थायी रूप से काम करने के लिए दिया जाता है।
  • Cap-Exempt Employer: विश्वविद्यालय, रिसर्च संस्थान या non-profit संगठन जिनके लिए H-1B Cap लागू नहीं होता।
  • Premium Processing Fee : वीज़ा आवेदन की तेज़ी से प्रोसेसिंग के लिए अतिरिक्त शुल्क ($2,805 तक)। वैकल्पिक है।
  • Fraud Prevention and Detection Fee : H-1B वीज़ा में धोखाधड़ी रोकने और सत्यापन प्रक्रिया के लिए लिया जाने वाला शुल्क।
  • ACWIA Fee : American Competitiveness and Workforce Improvement Act Fee; H-1B कर्मचारियों के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को फंड करने हेतु शुल्क।
  • Form I-129: H-1B वीज़ा के लिए नियोक्ता द्वारा भरा जाने वाला आवेदन फॉर्म।

About the Author

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मैं, अनिल यादव (B.Sc., B.Ed., PGDCA), वर्ष 2006 से सरकारी योजनाओं पर कार्य कर रहा हूँ तथा Content Writing and Blog Post लिखता हूँ । अपने इस व्यापक अनुभव और Digital India Mission से प्रेरित होकर, हमने इस वेबसाइट की शुरुआत की है। हमारा उद्देश्य करोड़ों भारतीयों को सरकारी योजनाओं और तकनीकी जानकारी तक सरल, सटीक और विश्वसनीय पहुँच प्रदान करना है। हम और हमारी टीम पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ सही और प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कार्यरत है, ताकि हर व्यक्ति सरकार की योजनाओं का अधिकतम लाभ उठा सके और डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ सके।
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